In India, these cities are based on the business of men.
भारत में इन शहरों पर होता है मर्दों के जिस्म का कारोबार
| देह के धंधे में इन दिनों जिगोलो की भारी डिमांड है.भारत में भी मर्दों के जिस्म का कारोबार बड़ी तेज़ी से फल-फूल रहा है. दरअसल, दिल्ली के दिल कनाट प्लेस, पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन, उत्तम नगर, दक्षिणी दिल्ली के नेहरू प्लेस कई प्रमुख वीवीआईपी इलाकों की मार्केट में मर्दों का बाज़ार सजता है. ये बाज़ार रात के 10 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक लगती है. देह की इस मंडी को ‘जिगोलो मार्केट’ कहते हैं. इन शहरों के पॉश इलाकों में रात होते ही मर्दों की जिस्म-फ़रोशी के धंधे की मार्केट सज जाती है.
कुछ घंटों के लिए जिगोलो की बुकिंग 2000 से 3000 हजार रुपए और पूरी रात के लिए 8000 रुपए तक में होती है.युवाओं के गठीले और सिक्स पैक ऐब्स के हिसाब से 15 हज़ार रूपए तक कीमत दी जाती है. जिगोलो की पहचान केवल शौक़ीन महिला ही कर पाती हैं.इस धंधे में लगे पुरुष कलाई पर रुमाल बांधे होते हैं.
या फिर एक पैर उठाकर किसी खंबे या दीवार से टिककर खड़े होते हैं. महिलाएं आसानी से इन पुरुष वेश्याओं को पहचान लेती हैं। इस धंधे में इंजीनियरिंग और मेडिकल के स्टूडेंट ज़्यादा है.
| देह के धंधे में इन दिनों जिगोलो की भारी डिमांड है.भारत में भी मर्दों के जिस्म का कारोबार बड़ी तेज़ी से फल-फूल रहा है. दरअसल, दिल्ली के दिल कनाट प्लेस, पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन, उत्तम नगर, दक्षिणी दिल्ली के नेहरू प्लेस कई प्रमुख वीवीआईपी इलाकों की मार्केट में मर्दों का बाज़ार सजता है. ये बाज़ार रात के 10 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक लगती है. देह की इस मंडी को ‘जिगोलो मार्केट’ कहते हैं. इन शहरों के पॉश इलाकों में रात होते ही मर्दों की जिस्म-फ़रोशी के धंधे की मार्केट सज जाती है.
कुछ घंटों के लिए जिगोलो की बुकिंग 2000 से 3000 हजार रुपए और पूरी रात के लिए 8000 रुपए तक में होती है.युवाओं के गठीले और सिक्स पैक ऐब्स के हिसाब से 15 हज़ार रूपए तक कीमत दी जाती है. जिगोलो की पहचान केवल शौक़ीन महिला ही कर पाती हैं.इस धंधे में लगे पुरुष कलाई पर रुमाल बांधे होते हैं.
या फिर एक पैर उठाकर किसी खंबे या दीवार से टिककर खड़े होते हैं. महिलाएं आसानी से इन पुरुष वेश्याओं को पहचान लेती हैं। इस धंधे में इंजीनियरिंग और मेडिकल के स्टूडेंट ज़्यादा है.
In India, these cities are based on the business of men.
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Oleh
Nilesh
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